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Showing posts from July, 2009

मानवता

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राह दिखाओ उनको यारों, जो मंजिल से दूर हुए हैं! भले ही मंजिल नहीं मिली, वो भी थक-थक के चूर हुए हैं!! मानवता का दीप बनो, ऐ जगे हुए इंसान! सबको तुम जगाओ व्, बनो मानवता का प्राण!! ये मत भूलो हमसब हैं, एक ही पिता (GOD) के संतान! सबका जीवन सफल बने, कुछ ऐसा करो अनुष्ठान!! वे भी परिश्रम बहुत किये हैं, कुछ कारणवश मंजिल से दूर हुए हैं! राह दिखाओ उनको यारों, जो मंजिल से दूर हुए हैं!! भले ही मंजिल नहीं मिली, वो भी थक-थक क चूर हए हैं!!! वे भी जीवन-दर्पण के बनें विजेता, कुछ ऐसा करो प्रयास! जीवनपथ क अधिपति बनें, जो आजतक हैं जीवन दास!! सब कुछ संभव हो सकता है, अगर तुम लोगे ठान! कुछ ऐसा कर डालो ऐ मानव, की सबकी मुरलिया छेड़े नयी तान!! कल तक थे वे तुम्हारे ही साथी, आज वे तुमसे दूर हुए हैं! राह दिखाओ उनको यारों, जो मंजिल से दूर हुए हैं! भले ही मंजिल नहीं मिली, वो भी थक-थक क चूर हए हैं!!

माँ व् ममता

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आओ सुनाऊं, जीवन की कहानी! माँ व् ममता, कैसी होतीं दिवानी!! हम उनके अंकुर हैं, उनके साँसों की धड़कन! धरती पे आने से पहले, सांस लेने से पहले, हुआ करते हैं हम, उनके अभिन्न अंग!! खुद के अंगो की संरक्षण, होती जीतनी प्यारी! माँ की ममता भी, उतनी होती न्यारी!! स्वयं गीला रहकर, हमें सूखे पे सुलाती! ममतामयी थपथपाहट से, निंदिया बुलाती!! जब बच्चों को, कोई व्याधि सताती! वो निर्भय हो, गरलपान कर जाती!! उंगली पकड़ न सिर्फ, चलना सिखाती! नैतिकता, सच्चाई व् आदर्शिता की, राह भी दिखाती!! ओ जीवनदायनी, त्याग की मूर्ति, तुझे व् तेरी ममता को, सत्-सत् नमन! इतना साहस देना, की कर सकूँ तुझको 'तेरा जीवन' अर्पण!!