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Showing posts from 2010

Civil Services vs. Research

Civil Services और Research में, हो रहा है युद्ध घनघोर! बिशाल बेचारा समझ न पाये, जाना है किस ओर! Research के तरफ से जहाँ, सुख-चैन की माया है! Civil -services के शिविर में, रास्ट्रीयता व् धर्म की छाया है!! छोड़ शिविर उस मोहिनी (Research ) का, Civil -services को आया है! रास्ट्र-कल्याण के कारण हेतु, योगी का भेष अपनाया है!! सफलता की सावन बरसा, Research कौतुहल मन को भींच रही है! Easy life के सपने दिखा, बेदर्दी से, अपनी ओर खिंच रही है!! इस खिंचा-तानी के क्रम में, आया है ऐसा असमंजस का मोड़! की, बिशाल बेचारा समझ न पाये, जाना है किस ओर!! आखिर जाना है किस ओर!!

आत्म-संवाद

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चल-चला-चल, चल-चला-चल, चल बिशाल, तू चल-चला-चल!! निष्ठा को अपनी ढाल बनाकर, तत्परता से अपनी चाल रमाकर! मन रूपी अश्व को दृढ़ता से थामे, अपनी समझ के दिशा-निर्देश में! जीवन के रथ पे हो सवार, चल बिशाल, तू चल-चला-चल!! विफलताओं पे रूककर, विचार न कर, (किसी) माया का आमंत्रण, स्वीकार न कर! क्षणिक सुखों में, तुझे न रमना है, थक कर भी, कभी न थमना है! हँस-हँस के घुटक, पथ के हलाहल, चल बिशाल, तू चल-चला-चल!! सफलता की छांव, जब-कभी भी पाये, तेरे कर्म की चकरी, रुक न जाये! नित-कर्मों की लौ में, खुद को तपाकर, हर सफलता की मिसाल बना तू! दृढ-संकल्प और अथक प्रयास से, इस बिशाल को, विशाल बना तू!! चल-चला-चल, चल-चला-चल! चल बिशाल, तू चल-चला-चल!!

सीख

मास्को के airport पे, जब बिन-पाँव इक नारी को देखा! कन्द्रित हुवा मन यह सोचकर, "कैसी है ये कुदरत की लेखा"!! आँख में शूरमा, कान में बाली, दमक रही थी, उसके ओठ की लाली! सुन्दरता से परिपूर्ण वो काया, झेल रही थी, इक काली साया!! वो मजबूर सुंदरी बिन पाँव के, नित-कर्म भी स्वयं न कर पाती होगी! पल-पल की क्रिया-कर्म के लिये, दुसरे की आस लगाती होगी!! यह देख दशा मन पूछ रहा, क्या है, उसके जीवन की भाषा! ओ साकी, क्या तेरी तरह, उसकी भी होगी कोई अभिलाषा !! कुछ सीख कुदरत की इस छवि से, अपंग है, फिर भी चमक रही है! विष पी कर भी, यूँ दमक रही है!! आज तू ऐसा शपथ ले ले, न रोक सके, तुझे कोई माया! तब तक कदम बढ़ाएगा तू, जबतक सकुशल है तेरी काया!!

प्यार का मंत्र

होता सफल प्यार वही, जो इंतज़ार करे, इजहार नहीं! निःसंकोच तुम प्यार करो, पल-पल उसका दिलदार करो! पर अपने चाहत की तृष्णा में, उसकी मर्जी पे न वार करो!! उसकी भी कुछ अपेक्षाएं होंगी, सपने होंगे, चाहतें होंगी! नित-कर्मों की लाठी थामें, तुम, ऐसा कठिन उपवास करो! की उसके हर सपने में, तुम ही, केवल तुम ही वास करो!! तेरा प्यार है इक अध्सोयी ज्वालामुखी (Half Sleeping Vocano ), जो आधी जली है (from your side), आधी रुकी (of his/her side), इस अधजली (ज्वालामुखी) पे न प्रहार करो! चाहत की चिंगारी लगाकर, दिलवर के जलने का इंतज़ार करो!! जिस दिन तेरी चाहत उसे जलाएगी, ये ज्वालामुखी (of your love) स्वयं फट जाएगी! व्  निःशब्द बंधनों से जुड़े, ऐसे अटटू प्यार की शैलाव लाएगी! जिसमें कभी कोई कडवाहट, चाहकर भी, नहीं ठहर पाएगी!! अतः, होता सफल प्यार वही. जो इंतज़ार करे, इजहार नहीं!!

मंजिल के मुसाफिर (Few words for those who could not qualify this year )

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ओ! मंजिल के मुसाफिर, वो बेला है आयी! अपनी नींदिया भगा कर, ख्वाबों से जगा कर! जो कृष्णा है तेरी, सोयी तृष्णा है तेरी! उसे पाने के लिये, खुद को तैयार कर ले! इस पावन घड़ी में (in this student life), जी-भर प्यार  कर ले!! तेरी लक्ष्य को तेरी साधना में समाने, तेरी नईया की टूटी पतवार बनाने! समय की घड़ी, लो आज फिर आयी, संग अपने तेरे-लिये, नयी रोशनी है लायी! जिसे आज तू, स्वीकार कर ले, इस पावन घड़ी में, जी-भर प्यार कर ले!! भौरों की भांति, तू चंचल है तबतक, अपनी मंजिल को, पायेगा न जबतक! रास्ट्र व् समाज को  तुमसे, आशा है जैसी, तुम्हारी अभिलाषा, भी शायद है ऐसी! तू अपनी इस चाहत की, सच्ची-पहचान कर ले, इस पावन घड़ी में, जी-भर प्यार कर ले!! इस पावन घड़ी में, जी-भर प्यार कर ले!!

अपना संस्कार "नारी-मूल्य"

इन पाश्च्या-देशों में, नारी-मूल्य का मान देख, आंतकित करता मुझे, इक विचार! इन पाश्च्य-जनों की तुलना में, आखिर! कैसे धन्य है हमारा संस्कार!! उम्र के इस नए पड़ाव में, कौतूहलता की इस कठिन शैलाव में, नव-पुरुषों की भाँती, नव-युवतियों में भी, वैसे ही बदलाव आते हैं! फिर,नव-पुरुषों का कोई प्रेम-प्रसंग, जहाँ सामाजिक-प्रतिष्ठा को दर्शाता है! क्यूँ यही प्रसंग युवतियों के लिये, उनके चरित्र का मान बन जाता है!! पुरुषों के मनोरंजन के खातिर, युगों से वेश्यालय बहुचर्चित है! फिर महिलाओं के लिये, Polyandry होना क्यूँ वर्जित है?? हमारे संस्कार की काया में, हम पुरुषों की रची माया में, क्या नारी का जीवन मूल्यवान नहीं? क्या उनमें मानवी जान नहीं? लड़की को हम लक्ष्मी बोलते! व् उनके सब अरमानों को कुचल, शादी के वक्त, उनका मूल्य दहेज़ से तौलते!! उन बेचारियों की बेबसी देख, इस संस्कार की महानता पे, अब लज्जा आती है! हम माँ काली की पूजा करते हैं? या, उनके प्रलयंकारी छवि से डरते हैं? दैव पुरुषों द्वारा, वर्ण-भेद का वो परिहास, आखिर क्या बतलाता है? क्या यह हमारे संस्कार के, प्रभुता को दि

जैव-तकनीकी (Biotechnology)

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जैव-तकनीकी की दुनिया, निराली है बड़ी! इसी के बुनियाद पे, ये दुनिया है खड़ी!! इसमें होता है, जीवाणुओं का मेल! जीवों के जीनों पे, चलता है खेल!! जीवाणु करतें हैं, बड़ा बड़ा ड्रामा! बड़ा interesting है, इनका कारनामा!! Biotech से जुडी है, नयी technology की हर कड़ी! जैव-तकनीकी की  दुनिया, निराली है बड़ी! इसी के बुनियाद पे, ये दुनिया है खड़ी!! इसमें चलता है, living cells पर research! बड़े-बड़े scholars का, brain-energy होता है खर्च!! Biotech ने है लाया, technology era में नयी क्रांति! Biotech ने है मिटाया, फैली, दुनिया की झूठी भ्रान्ति! Biotech  ने है डाला, हर technology में नया प्राण! Biotech ही करेगा, नयी सदी में, नयी दुनिया का निर्माण!! "Biotech will be the cause of our existence"  कहने की, वो आ गयी है घड़ी! जैव-तकनीकी की  दुनिया. निराली है बड़ी! इसी के बुनियाद पे,  ये दुनिया है खड़ी!!

2. मरहम एक टूटे दिल का (for girls)

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दरिया के किनारे, मीठे यादों के सहारे! मतवाली पगों से, मैं चला जा रहा था!! हवा के झोकों से, कुछ सिसकियाँ आयीं! जिन्हें सुन मुझमें, घबराहट सी छायीं!! उस भयावह निशा में, सिसकियों की दिशा में! सहमा हुआ मैं, थोड़ी दूर आया! वंहा देखकर खुदको अटपटा सा पाया!! पत्थर के पीछे, बड़े बरगद के नीचे, इक लड़की निरंतर रोये जा रही है! उसकी खोयी चेतना से, व् रोने की वेदना से, चारोतरफ जैसे, मातम छा रही है!! उसके जीवन में कुदरत ने, ये कैसी हालात, है लायी! प्रिय-मिलन के मौसम में (in valentine season), वो दिल पे खंजर,क्यूँ खायी!! ओ जगजननी, ओ दुखहरनी, जब तू ऐसे हारकर रोएगी! तो ये सृष्टी, जो तेरी शक्ति है, यक़ीनन काल के मुख में सोएगी!! न कर शिकवा किसी से, किसी से शिकायत न कर! कुदरत की इस परीक्षा में, तू अपनी शक्ति को प्रखर!! पुत्री रूप में खुशियाँ है तू, बहन रूप में प्रतिपालक! बहू रूप में लक्ष्मी है, व् पत्नी रूप में जीव्चालक!! अपरंपार है तेरी ममता, सारा जग इसका गुणगान करे! फिर क्षणिक खुशियों के खातिर क्यूँ, तू अपनी महत्ता पे वार करे!! जीवन के इस लम्बे सफ़र में, इक

1. मरहम एक टूटे दिल का (for boys)

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मदिरालय में बैठा विलाप रहा था, मदिरा में उसको तलाश रहा था! उसे देख अंदाज किया मैं, वो टूटा दिल लिये लौट चला है, ओह! प्यार भी ये कैसी बला है! उसके जख्मों को सहलाने को, कंद्रित मन को बहलाने को! चुपके से उसके पास मैं आया, व् कुछ इस तरह समझाया! दिलवर ने जो मुख मोड़ा है, मत सोच की दिल को तोडा है! कुदरत की इक्षा से उसने, ख्याबों से तुझे झझ्कोरा है! वो चांद है तो, सूरज बन तू, उसके चांदनी की, जरुरत बन तू! तेरे बिन उसका अर्थ न हो, कुदरत की ये इक्षा व्यर्थ न हो! वो हार-मांस काया में, कुदरत की भेजी माया में! जबतक तेरी परछाई थी, तबतक साथ निभाई थी! इस जीवनपथ पे तुम बढे चलो, निर्भीक हो अपना कर्म किये चलो! ये काली घटा लौट जायेगी, इक परछाई फिर से आएगी, इक परछाई फिर से आएगी!!