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प्यार का मंत्र

होता सफल प्यार वही, जो इंतज़ार करे, इजहार नहीं! निःसंकोच तुम प्यार करो, पल-पल उसका दिलदार करो! पर अपने चाहत की तृष्णा में, उसकी मर्जी पे न वार करो!! उसकी भी कुछ अपेक्षाएं होंगी, सपने होंगे, चाहतें होंगी! नित-कर्मों की लाठी थामें, तुम, ऐसा कठिन उपवास करो! की उसके हर सपने में, तुम ही, केवल तुम ही वास करो!! तेरा प्यार है इक अध्सोयी ज्वालामुखी (Half Sleeping Vocano ), जो आधी जली है (from your side), आधी रुकी (of his/her side), इस अधजली (ज्वालामुखी) पे न प्रहार करो! चाहत की चिंगारी लगाकर, दिलवर के जलने का इंतज़ार करो!! जिस दिन तेरी चाहत उसे जलाएगी, ये ज्वालामुखी (of your love) स्वयं फट जाएगी! व्  निःशब्द बंधनों से जुड़े, ऐसे अटटू प्यार की शैलाव लाएगी! जिसमें कभी कोई कडवाहट, चाहकर भी, नहीं ठहर पाएगी!! अतः, होता सफल प्यार वही. जो इंतज़ार करे, इजहार नहीं!!