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विद्यार्थी-जीवन (Specially for students in age group 15-25 years)

विद्यार्थी-जीवन, होता सबसे न्यारा ! इसके हाथों में होता है, भाग्य हमारा !! संभावनाओं से, भरपूर यह होता ! ऊर्जा भी इसमें, प्रचुर होता !! यह ऊर्जा हमारी, कौतुहलता बढ़ता ! (high kinetic energy) कभी कभी हममें, हाताशी भी लाता !! (high static energy) क्षण-भर में समझता, जग का हूँ नायक ! अगले-क्षण समझता, किसी के न लायक !! कच्ची-समझ, कुछ समझ नहीं पाती ! ऊपर से अपनी, यौवनता सताती !! इसी बीच सभी कहते हैं, पढ़ने को ! कलम की स्याही से, जीवन गढ़ने को !! समझ नहीं आये, जीवन का झमेला ! इस भवँर में पाऊं मैं, खुद को अकेला !! बिशाल भैया ने, मुझे पास बुलाया ! विद्यार्थी-जीवन की महत्ता समझाया !! "अभी की ऊर्जा है, तेरी जिव्यशक्ति ! पढाई हीं है, तेरी मातृभक्ति !! इस ऊर्जा को, तटीकृत कर ले तू ! मन की चंचलता, नियंत्रित कर ले तू !! नित्-ध्यान कर, इक्षाशक्ति बढ़ाओ ! हर-रोज पढ़ने की, आदत लगाओ !! विद्यार्थी-जीवन होता सबसे न्यारा ! इसकी मुट्ठी में होता है, जीवन हमारा !! विद्यार्थी-जीवन होता सबसे न्यारा...."

महायुद्ध (Mahayuddh)

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जब अँधेरे में स्थिर बैठा, अंगों का हलचल शांत हुआ ! स्वास-पथ पे चलते चलते, पल-पल मन में होनेवाले, तब महायुद्ध का ज्ञात हुआ !! यहाँ धर्मयुद्ध है, व् कर्मयुद्ध भी, मन का मन ही प्रतिद्वंदी है ! बुद्धि-विवेक और समझ हमारी, अज्ञानता के बंदी हैं !! लोभ-मोह और भोग-विलास, एक खेमे में रहते हैं ! ज्ञान, त्याग और सहनशीलता, दूसरे खेमे में बसते हैं !! क्या करूँ, क्या नहीं करूँ, युद्ध का संतुलन बतलाता है ! जिसको जितना बलवान किया, स्वाभाव वही बन जाता है !! मन ही सच्चा दोस्त बना, और मन ही जानी-दुश्मन ! कहता बिशाल, कर ले तू साकी, मन से मन का अर्पण !!