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सच्चा सच्च

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युगों से यात्रा शुरू है तेरी, यह जन्म भी इसका हिस्सा है! इससे पहले जाने कितने, जन्मों का तेरा किस्सा है !! समय की चकरी घूम रही, दुःख-सुख धूप और छाँव हैं ! तेरे इस सफर में साकी, मृत्यु एक पड़ाव है !! इस जनम का नाता-रिश्ता, यही समाप्त हो जाएगा ! तेरी अगली यात्रा में, साथ कोई नहीं आएगा !! यह शरीर जिसे तू 'मैं' कहता है, वो भी मिट्टी में मिल जाएगा ! अपने कर्मों के अनुरूप, इक नया शरीर तू पायेगा !! फिर कौन अपना है, कौन पराया, इस गूढ़ रहस्य को जान लो ! माया-मोह के बंधन से उठ, कर्म-भेद पहचान लो !! बार-बार कहता बिशाल, नित-ध्यान करो, और योग करो ! अपने इस मानव जीवन का, अच्छे से उपयोग करो !! अच्छे से उपयोग करो... तुम अच्छे से उपयोग करो....!!