मानवता

राह दिखाओ उनको यारों, जो मंजिल से दूर हुए हैं! भले ही मंजिल नहीं मिली, वो भी थक-थक के चूर हुए हैं!! मानवता का दीप बनो, ऐ जगे हुए इंसान! सबको तुम जगाओ व्, बनो मानवता का प्राण!! ये मत भूलो हमसब हैं, एक ही पिता (GOD) के संतान! सबका जीवन सफल बने, कुछ ऐसा करो अनुष्ठान!! वे भी परिश्रम बहुत किये हैं, कुछ कारणवश मंजिल से दूर हुए हैं! राह दिखाओ उनको यारों, जो मंजिल से दूर हुए हैं!! भले ही मंजिल नहीं मिली, वो भी थक-थक क चूर हए हैं!!! वे भी जीवन-दर्पण के बनें विजेता, कुछ ऐसा करो प्रयास! जीवनपथ क अधिपति बनें, जो आजतक हैं जीवन दास!! सब कुछ संभव हो सकता है, अगर तुम लोगे ठान! कुछ ऐसा कर डालो ऐ मानव, की सबकी मुरलिया छेड़े नयी तान!! कल तक थे वे तुम्हारे ही साथी, आज वे तुमसे दूर हुए हैं! राह दिखाओ उनको यारों, जो मंजिल से दूर हुए हैं! भले ही मंजिल नहीं मिली, वो भी थक-थक क चूर हए हैं!!