सबक (For boys)
इन खुशियों की पावन बेला में,
और दिलवालों की मेला में!
हम पास रहकर भी दूर हुए,
सब अरमान चकनाचूर हुए!!
मानो मुट्ठी में वो जैसे,
रेत की भांति फिसल गयी!
इस दुनियादारी की चक्की में,
मेरी अभिलाषा पिसल गयी!
धड़कन से ज्यादा प्यार दिया,
पल-पल उसका दिलदार किया!
पर जाने किस सजा में विधि ने,
आज ऐसा प्रहार किया!!
इक आहट मात्र, साथ होने की,
पूरकता का बोध कराती थी!
और यादें उसकी सीरत की,
नयी ऊर्जा देकर जाती थी!!
फिर लग जाता नितकर्मों में,
बड़ी लगन से निशदिन पढता था!
इक ईष्ट की भांति सारी मेहनत,
उसी को अर्पण करता था!!
सोचा था उसको भी शायद,
इंतज़ार है मेरा आने का!
किसी पावन घडी में आकर,
मेरा उसको अपनाने का!!
पर थाम लिया किसी और ने दामन,
देरी हो गयी आने में!
वक्त की नियति न समझा,
तभी बैठा हूँ महखाने में!!
घाव लगे इस आहत दिल को,
विशाल किसी तरह संभाल लिया!
पर दीवानों की, हर टोली के लिए,
इसे "सबक" का, है नाम दिया!!
दीवानों की, हर टोली के लिए,
इसे "सबक" का, है नाम दिया!
इसे "सबक" का, है नाम दिया!!....
wah!!! dil ko chhu liya :)
ReplyDeletesuruaat mohabbat se hui , khatam bewaafayi se !!
ReplyDeletesahi peshkaas hai V'day ki !!
Ashi hai...writen heartly but it also show that it has been writen in state of anguish......
ReplyDeletegood piece of work dude. keep it up.
ReplyDeleteइक आहट मात्र, साथ होने की,
ReplyDeleteपूरकता का बोध कराती थी!
और यादें उसकी सीरत की,
नयी ऊर्जा देकर जाती थी!!
Waah!! bahut hi achchi rachna!
Wah wah...very very realistic...aisa bhi hota hai.
ReplyDeletechiriya ghar se lautnepe aisa he feel hota hain... :p
ReplyDeleteKya baat hai bhai...sb thik to hai n:) :)
ReplyDeletesahi hai...liked it:)
ReplyDeletesahi hai bishalji .. bilkul sahi baat kahi hai.. "der ho gayi aane mein .. tabhi baitha hoon mehkhane mein .."
ReplyDeleteyaar ek kavita gusse mein bhi likho, dukh mein bahut ho chuka :P
फिर लग जाता नितकर्मों में,
ReplyDeleteबड़ी लगन से निशदिन पढता था!
इक ईष्ट की भांति सारी मेहनत,
उसी को अर्पण करता था!!
saare problem ka root cause yahan hai :P..padhai wali mehnat nahi..koi aur mehnat arpan karni hoti hai na ;).. great work dear!! :)
awesomee...as usual
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