मरने का रहस्य
सुनो ओ प्यारे जान लो,
मरने का रहस्य पहचान लो!
दुनिया से यह तेरी,
माया-मोह का अंत है !
इसके अगले क्षण ही,
चित्त की शांति अनंत है !!
पाने का कोई लोभ नहीं,
खोने का भी क्षोभ नहीं !
तभी बारम्बार विशाल,
मरने का देता मिशाल !!
परमसुख के आस्वादन हेतु,
चलो हम हर-रोज मरें !
प्रज्ञा की मुखाग्नि देकर,
तृष्णा का हम दाह करें !!
फिर हर सुबह की नयी किरण,
नयी-नयी तरंगें लायेंगी !
नवजन्मे बच्चे की भांति,
तुझमें उमंगें भर जाएंगी !!
फिर, तुझसे बड़ा कोई संत न होगा,
तेरे सुख-शांति का अंत न होगा !
सुनो ओ प्यारे जान लो,
मरने का रहस्य पहचान लो !!
मरने का रहस्य पहचान लो,
मरने का रहस्य पहचान लो.....
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