आज की राज

मानस! क्यूँ आकुल है तू !
किस कारण व्याकुल है तू !!
तू जल रहा है राग में,
कामना की आग में !
रिद्धि-सिद्धि के लिए,
इस आग को तू रोक ले !!
ध्येय अपना साधकर,
उत्तेजना को बांधकर !
लक्ष्य के प्रयास में ,
तू पूरी ऊर्जा झोंक दे !!
यह पल अभी जो आया है,
वापस कभी न आएगा !
जिंदगी के राह का,
इतिहास बन रह जाएगा !!
दिन-प्रतिदिन ध्यान कर,
जीने की कला सीख तू !
कर्मों के कलम से अभी,
इतिहास अपना लिख तू !!
इतिहास अपना लिख तू !!
कभी भी अधीर हो,
भाग्य पे रोना नहीं !
विलासिता की चाह में
समय व्यर्थ खोना नहीं !
जीवन की यही जान है !
इस समय अगर तू,
कर्मोन्मुख हो जाएगा!
जीवन के डगर पे,
रिद्धि-सिद्धि पायेगा !!
रिद्धि-सिद्धि पायेगा, तू
रिद्धि-सिद्धि पायेगा.....!!
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